‘डांग’ उपन्यास का संक्षिप्त परिचय
राजस्थान,
मध्यप्रदेश तथा उत्तरप्रदेश के सीमा के पठारी-बीहड़ी क्षेत्र को ‘डांग’ के नाम से
जाना जाता है. इसी इलाके में होकर बहती है चम्बल नदी जिसे दस्यु प्रसूता नदी भी
कहा जाता है. रोबिनहुड किस्म के डाकू मानसिंह तोमर से लेकर सुल्तानसिंह, माधोसिंह,
पुतली बाई, मोहरसिंह, फूलन देवी और जगन गूजर तक की लम्बी दस्यु समस्या और औरतों की
खरीद फ़रोख्त के लिए बदनाम रहे इस अंचल को केंद्र में रखकर यह उपन्यास हरिराम मीणा
द्वारा रचा गया है. कथाकार ने इस अंचल के भरतपुर एवं धौलपुर जिलों में करीब एक दशक
तक की अवधि फील्ड पुलिस अफसर के रूप में यहाँ गुजारी है.
दस्यु एवं महिलाओं
की खरीद फ़रोख्त तथा वैश्यावृत्ति जैसे मुद्दों को प्रमुखता से उजागर करते हुए इस कृति
में अंचल की अन्य समस्याओं यथा गरीबी, कन्या वध, खनन स्थलों की समस्या, दलित एवं
जातिवाद, गुजर-मीणा विवाद, राजनीति, विकास, पर्यटन आदि को छूते हुए संस्कृति के
विभिन्न पक्षों को स्थान देने का महत्वपूर्ण कार्य किया है.
लेखक ने बहुत गहराई
में शोध करने के पश्चात् इस पुस्तक को अंजाम दिया है. यह रचना समस्यामूलक आंचलिक
उपन्यास की श्रेणी में वर्गीकृत की जा सकती है. इस उपन्यास में समाहित आंचलिक
मुद्दों को इससे पूर्व किसी लेखक ने इस कदर अभिव्यक्त नहीं किया है.
उल्लेखनीय है कि
लेखक का पहला उपन्यास ‘धूणी तपे तीर’ शीर्षक से वर्ष दो हजार आठ में प्रकाशित हुआ
था जिसके तीन संस्करण अब तक आ चुके हैं. वह ऐतिहासिक उपन्यास उपनिवेशवाद विरोधी
आदिवासी संघर्ष पर केन्द्रित है. बिड़ला प्रतिष्ठान के बिहारी पुरष्कार से सम्मानित
वह कृति काफी चर्चा में रही है. प्रस्तुत कृति उससे आगे की यात्रा कही जा सकती है.
हरिराम मीणा – परिचय
राजस्थान के जिला
सवाईमाधोपुर के ग्राम बामनवास में एक मई उन्नीस सौ बावन में जन्म. राजस्थान विश्व
विद्द्यालय से राजनीतिशास्त्र में स्नातकोत्तर डिग्री.
सेवानिवृत्त पुलिस
महानिरीक्षक.
अब तक दो कविता
संकलन, एक प्रबंध काव्य, दो यात्रा वृत्तान्त, एक उपन्यास, आदिवासी विमर्श की एक
पुस्तक और समकालीन आदिवासी कविता (सम्पादित). विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं व दूरदर्शन
से रचनाएँ, वार्ता आदि का प्रकाशन एवं प्रसारण.
जयपुर दूरदर्शन के
‘गश्त पर’ सीरियल में भूमिका एवं ‘रूबरू’ सीरियल के लिए तथा ब्रिटिशकालीन आदिवासी
संघर्षों पर शोध. भारतीय मिथकों के डिकोडीकरण व आदिवासी विषयों पर विशेषरूप से
कार्यरत.
इनके साहित्य पर देश
के विभिन्न विश्वविद्यालयों के करीब चार दर्ज़न शोधार्थी एम्.फिल. तथा पी.एच.डी. कर
रहें हैं. इनकी पुस्तकें रांची, वर्धा, हैदराबाद, दिल्ली, जोधपुर एवं राजस्थान
विश्वविद्यालयों में पाठ्यक्रम में शामिल हैं.
वन्यजीव संरक्षण के
लिए पद्मश्री सांखला अवार्ड, डा० आंबेडकर राष्ट्रीय पुरष्कार, राजस्थान साहित्य
अकादमी का सर्वोच्च मीरां पुरष्कार, केन्द्रीय हिंदी संस्थान द्वारा महापंडित
राहुल सम्मान एवं बिरला प्रतिष्ठान के बिहारी पुरष्कार से सम्मानित.
सम्प्रति-
अध्यक्ष, अखिल भारतीय आदिवासी साहित्यिक मंच, नई
दिल्ली
निदेशक, सोसाइटी फॉर स्टडीज इन दा एरियाज ऑफ़
ट्रेडीशन एंड ह्यूमन डिगनिटी
माननीय राज्यपाल, राजस्थान के प्रतिनिधि, बोर्ड
ऑफ़ मेनेजमेंट, जनजातीय विश्व विद्द्यालय, उदयपुर
विजिटिंग प्रोफ़ेसर, केन्द्रीय विश्व विद्द्यालय,
हैदराबाद
संपर्क-
31, शिवशक्तिनगर, किंग्सरोड, अजमेर हाई-वे, जयपुर-302019
दूरभाष- 94141 24101 / 97995 56622 ई-मेल- hrmbms@yahoo.co.in
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