जिसके कंठ से पृथ्वी के सारे वृक्ष एक साथ कविता पाठ करते थे : मिगुएल
हर्नान्देज़
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मिगुएल हर्नान्देज़ ऐसा कवि नहीं था , जैसा हम अक्सर अपने आसपास के कवियों के
बारे में जानते-सुनते हैं. उसका जीवन और उसकी कवितायेँ , दोनों के भीतर
संवेदना, अनु...
9 वर्ष पहले
1 टिप्पणी:
हरी राम जी दैनिक हिदुस्तान में आपके यह ब्लॉग चर्चा हमने भी पढ़ी थी | आज आपके ब्लॉग पर पहली बार आना हुआ समय मिलते ही आपकी पिछली सभी पोस्टे पढूंगा |
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